Saturday, April 28, 2018

अचानक

अचानक से
हथियार हाथ से 
फिसल गए

मकसद, जोश 
और मंज़िल
दूर गूंजते
शब्द 
बन गए

ये बेबस,
कमज़ोर और 
सम्मोहित होने
का मेरा
पहला अनुभव था

मुझे जानने वालों
के लिए एक
आविश्वसनीय 
अफवाह जो 
उनके सामने 
घटी थी

इस वाकये को
अब सालों हुए
और सालों हुए
तुम्हारे पीछे चलते

आज अचानक
इक सवाल
मन में
उठा है
अगर बुरा न लगे 
तो बताओ ज़रा

कितनी दूर जाने के
बाद फ़िर
पलटोगे और
फ़िर मुझे देख कर
मुस्कुराओगे।

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