Saturday, January 27, 2018

गुरुत्वाकर्षण

गुरुत्वाकर्षण 
के सिद्धान्त के बारे में
बात कर सकते हो,
समझ सकते हो
समझा सकते हो
किताब खोल के
बंद कमरे में बैठ के
घंटों चर्चा करके

मगर अगर
अनुभव करना है
गुरुत्वाकर्षण को

तो 
लेने होंगे वो सारे 
कदम जहां से लौटना
मुमकिन है और
पहुँचना होगा
किसी पहाड़ की
चोटी के 
आखिरी कोने तक

फिर 
देखना होगा पृथ्बी की
आंखों में आंखें डाल के

और फिर अगर हिम्मत है
तो उठाना होगा 
आखिरी वो कदम
जिसके बाद
वापसी संभव नही

तब तुम
समझ पाओगे
गुरुत्वाकर्षण को

महसूस कर पाओगे
कितनी तीव्रता से
धरती चाहती है
तुम्हे पास बुलाना
और जानोगे
उसकी चाह तुमसे 
मिलने की
गहरी है किसी भी
माँ के मोह से

बिल्कुल ऐसे
 जैसे कोई
प्रेमिका सदियों से
इंतेज़ार कर रही थी
तुम्हारे इस अंतिम कदम का

जैसे उसका विरह का
दर्द पार कर चुका था
सब हदें
और बिना कुछ बोले
नैन बिछाये
राह तकती थी
कि कब तुम में
आएगी हिम्मत 
वो आखिरी कदम उठाने की

वो आखिरी कदम
जिसके बाद 
बात 
तुम्हारे हाथ से 
निकल जायेगी
वो आखिरी कदम
जिसके बाद तुम
असहाय हो जाओगे
जिसके बाद वापस
लौटना मुमकिन न होगा

प्रेम ऐसा ही होना चाहिए
समझे?
तुम मुझे अब कुछ
मत समझाओ

मैंने प्रेम पृथ्वी
से सीखा है
और मैं आखिरी कदम 
उठा चुका हूँ।