1947 में बटवारे के वक़्त
लाखों मारे गए
करोड़ों बेघर हुए
शामिल थे मेरे पूर्वज
रो देती थी दादी
सुनाते हुए वो वाक्या
मैं बचपन में ही
बड़ा हो गया था
इतिहास में दर्ज़ है
हिटलर के जुल्मों का
हिसाब
जो दहला देता है
कठोर से कठोर हृदय को
कहानियां उन दिनों की
आज भी कंपा देती है
भीतर से
अमेरिका के लिटल बॉय
ने एक क्षण में कई लाख
लोग पिघला के हवा कर दिए
हिरोशिमा में
इससे डरावना भी कुछ
हो सकता है क्या?
भोपाल ट्रेजडी
1984
गुजरात
फिलिस्तीन
सीरिया
इराक
अफगानिस्तान
पिताजी का निधन
हर मौके पे
आंखों का बस
नम होते होते रह जाना
कितना दूर हूँ यथार्थ से
इस सदी की सबसे दुखद घटना,
जिसने बदल कर
रख दिया जीवन
इस सदी की उस सबसे दुखद
घटना में कोई नही मरा
न चोट लगी किसी शरीर को
बस एक चुप्पी
जो बरसों तक गूंजती रही।