Wednesday, July 26, 2017

तुम्हारे लिए - ७ जुलाई २०१७

पहाड़ों से 
निकली है नदी
जा रही हैं 
तुम्हारी तरफ

पेड़ छूने के लिए तुम्हे 
बढ़ रहेे हैं
आसमान की और
पर छू न पाएंगे

तुम्हारे न मिलने 
की वजह से
चाँद लगातार 
लगा रहा है चक्कर 
धरती के
और 
धरती सूरज के

हवा दौड़ती रहती है
एक कोने से 
दूसरे कोने तक

दिन और रात 
लगातार
भाग रहे हैं
जाने किसके पीछे

तारे, आसमान,
चाँद, पानी
बिजली, सागर
सूरज, पृथ्वी
सब पगला गए हैं

और मैं 

मैं थक के
बैठ गया हूँ
एक जगह
चुपचाप

बताओ ज़रा
कब मिलोगे।

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