Thursday, July 27, 2017

और फिर अंत में प्रतीक्षा

और फिर शब्द 
हर कहानी
हर गीत 
हर रोज़ 
हर बात
बस एक सवाल 
क्यूँ?

दिन पर दिन 
रात पर रात 
साल पर साल 
किसलिए?

और फ़िर प्रेम 
न दुनिया 
न जवाब 
न कहानी 
न सवाल 
बस तुम 

दिन पर दिन 
रात पर रात 
साल पर साल 
कब तक? 

फिर सन्नाटा 
हल्का अँधेरा 
न प्रेम 
न सवाल 
न तुम 
न जवाब  
सिर्फ मैं 

दिन पर दिन 
रात पर रात 
साल पर साल 
कैसे?

और फ़िर?

और फिर 
एक हल्की मुस्कान 
धुंधले चेहरे 
यात्रा, चलना 
दौड़ना, थकना
गिरना, उठना 
 
दिन पर दिन 
रात पर रात 
साल पर साल 

और फिर अंत में प्रतीक्षा 




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